हमारी धरोहर भेड़ाघाट : संगमरमर का सौन्दर्य - 'नेपथ्य' सामाजिक परिवर्तन का तुमुलनाद, सितम्बर 2019

हमारी धरोहर


भेड़ाघाट : संगमरमर का सौन्दर्य



भेड़ाघाट, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला में स्थित एक रमणीय पर्यटन स्थल है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चौसठ योगिनी मंदिर इसके समीप स्थित है। धुआंधार जलप्रपात, भेड़ाघाट के निकट एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। नर्मदा नदी के दोनों तट पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैंयह पर्यटन स्थल जबलपुर से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबलपुर से भेड़ाघाट के लिए बस (मेट्रो), टेम्पो और टैक्सी भी उपलब्ध रहती है। यहाँ कई प्रसिद्ध हिन्दी फिल्मो का फिल्मांकन हुआ है।चाँद की रोशनी में भेड़ाघाट की सैर एक अलग ही तरह का अनुभव रहता है। भेड़ाघाट के पास नर्मदा का पानी एक बड़े झरने के रूप में गिरता है। यह स्पॉट धुआँधार फाल्स कहलाता है।भेड़ाघाट के पास ही यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। यह बहुत ही भव्य मंदिर है! यहाँ 64 योगिनी अर्थात् देवियों की प्रतिमा है। दसवीं शताब्दी में स्थापित हुए दुर्गा के इस मंदिर से नर्मदा दिखाई देती है। पहाड़ों के बीच होने वाली नाव की यात्रा पर्यटकों को आकर्षित करती है। अगर आप मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो छुट्टियों में भेड़ाघाट जरूर जाएं। यहां ऐसी कई दुकानें हैं जहां आपको संगमरमर के हस्तशिल्प और धार्मिक चिन्ह खरीदने को मिलेंगे। भेड़ाघाट में हर साल कार्तिक महीने में विशाल मेला आयोजित होता है। भारतीय मेलों की छटा और कला आपको इस मेले में देखने को मिलेगी।


भेड़ाघाट का इतिहास


भेड़ाघाट का इतिहास 180-250 करोड़ साल पुराना माना जाता है। भेड़ाघाट के नाम को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं। इतिहास की मानें तो प्राचीनकाल में भृगु ऋषि का आश्रम इसी जगह पर था और यह वह स्थल है जहां नर्मदा नदी का बावनगंगा नदी के साथ संगम होता है। बुंदेली भाषा में भेड़ा का अर्थ भिड़ना या मिलने से होता है। क्योंकि ये दोनों नदियां यहां आकर मिलती हैं, इस मिलन के कारण ही इस जगह का नाम भेड़ाघाट रखा गया था।


बालीवुड की फिल्म अशोका के लोकप्रिय गीत "रात का नशा अभी, आँख से गया नहीं..." नर्मदा नदी की यहीं की संगमरमर की चट्टानों के बीच फिल्माया गया है। 2016 में हिंदी फिल्म 'मोहेंजो दारो' के   ऋत्विक रोशन के मगरमच्छ से लड़ने के दृश्य भेड़ाघाट में फिल्माए गए हैं। वर्ष 1961 में फिल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' का राजकूपर और पद्मिनी पर इस फिल्म का सबसे हिट गाना "ओ बसन्ती, पवन पागल, ना जा रे ना जा, रोको कोई....” भी यहीं शूट किया गया था। इसके अलावा एक अन्य हिंदी फिल्म “प्राण जाए पर वचन ना जाए" की शूटिंग भी भेड़ाघाट में हुई थी। भेड़ाघाट को जबलपुर जिले की नगर पंचायत के रूप में जाना जाता है। इस जगह की संगमरमर की चट्टानों को उन हजार स्थानों में से एक माना गया है, जिन्हें अपने जीवन में एक बार जरूर देखना चाहिए।


भेडाघाट में घूमने वाली जगहें


भेड़ाघाट मार्बल रॉक्स बोटिंग एरिया- भेड़ाघाट में मार्बल राक्स देखने लायक हैं। संगमरमर की चट्टानें पर्यटकों के लिए खबसरत दर्शनीय स्थल है।


धुआंधार वाटर फाल-नर्मदा नदी के दोनों किनारों की ऊंची चटटानों से घिरा यह मशहर मनमोहक स्थल है। यहां नर्मदा नदी मार्बल की चट्टानों के माध्यम से तेजी से अपना मार्ग प्रशस्त करती है और पहाड़ से 100 फुट नीचे की ओर झरने के रूप में गिरती है। पानी के इतनी ऊंचाई से गिरने के कारण चारों तरफ धुंआ उठता दिखाई देता है और फुहार घनी होकर धुएं का रूप ले लेती हैं। इसी वजह से इस जगह को धुआंधार फाल्स कहा जाता है। इस दौरान पानी का बहाव इतना तेज होता है कि दूर से भी गर्जन सुनाई देता है। यह घाट क्षेत्र से सिर्फ 1.5 किमी दूर है। धुआंधार जलप्रपात को आप केबल कार के जरिए भी देख सकते हैं।


चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर-धुंआधार से थोड़ी ही दूरी पर चौंसठ योगिनी मंदिर है। यह मंदिर हा यह मादर हिंदू पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड की जननी मानी जाने वाली देवी दुर्गा को समर्पित है। यहां पर 10वीं शताब्दी के कलचुरी वंश की पत्थरों से तराशी गई मूर्तियां हैं, अब हालांकि ज्यादातर मूर्तियां टूट गई हैं। माना जाता है कि यह स्थान प्राचीन मंदिर के भूमिगत मार्ग से गोंड रानी दुर्गावती के महल से जाकर मिलता है। इस मंदिर की खासियत यहां बीच में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा है। बताया जाता है कि इस मंदिर में आज भी 64 योगिनियां पहरा देती हैं। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की अच्छी खासीभीड़ उमड़ती है। इतिहासकारों के अनुसार एक जमाने में तहासकारा के अनुसार एक जमान म चौंसठ योगिनी मंदिर का नाम गोलकी मठ था।


सी वर्ल्ड वाटर पार्क जबलपुर-सी वर्ल्ड वाटर पार्क दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए अच्छी जगह है। पूरा एक दिन बिताने के लिए यह आदर्श स्थान है। यहां बड़ों के अलावा बच्चों के लिए अलग से एक पूल है। यह जबलपुर का एक मात्र वाटरपार्क है। यहां एडवेंचर वाटर राइड और रोलर कोस्टर की सवारी आपके ट्रिप में जान डाल देगी। यह वाटर पार्क सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुलता है। बड़ों के लिए यहां एंट्री फी 360 रूपए प्रति व्यक्ति है जबकि बच्चों के लिए 270 रूपए एंट्री फी रखी गई है। जबलपुर स्टेशन से वाटर पार्क की दूरी 11.3 किमी है, जबकि जबलपुर एयरपोर्ट से यह 21.8 किमी दूर है।


बैलेंसिंग रॉक जबलपुर


यह जगह जबलपुर सिटी से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह जगह शारदा देवी मंदिर के रास्ते में पड़ती है। यहां एक दीर्घगोलाकर शिला आश्चर्यजनक ढंग से एक विशाल चट्टान पर अपने गुरुत्व केंद्र पर टिकी हुई है। यह भतात्तिव कारणों से अस्तित्व में आया, इसमें मानव का कोई योगदान नहीं है। इस शिला की खासियत यह है कि इसकी विशालता, भार, कठोरता और सटीक गुरूत्व केंद्र होने के कारण आज भी ये अपनी मूल अवस्था ना ये अपना मूल अवस्था में बना हुआ है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह अच्छी जगह है।



भेड़ाघाट में नर्मदा महोत्सव-प्रकृति की इस खबसूरत रचना की प्रशंसा करने के लिए, हर साल भेड़ाघाट में नर्मदा महोत्सव के रूप में एक शुभ कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस भव्य कार्यक्रम में बालीवुड की प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा नृत्य, नाटक और संगीत की शानदार प्रस्तुति शामिल है। कार्यक्रम शरद पूर्णिमा यानी अक्टूबर के माह में आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध गायकों और कलाकारों की मौजूदगी दर्शकों की भारी भीड़ खींचती है और लोग इस पूर्णिमा की रात दूधिया सफेद पानी में नौका विहार का आनंद लेते हैं।


भेडाघाट का मौसम


गर्मियों में भेड़ाघाट- गर्मियों में भेड़ाघाट जाना थोड़ा सही समय है। यहां गर्मी बहुत ज्यादा नहीं रहती। तपमान अधिकतम 34 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, लेकिन मई -जून का महीना यहां ज्यादा गर्म होता है। इसलिए आप चाहें तो मई से पहले की गर्मियों में आप यहां छुट्टियां बिताने आ सकते हैं।


मानसून में भेड़ाघाट- भेड़ाघाट जाने के लिए मानसून उपयुक्त समय नहीं है। यहां मानसून में भारी बरिश होती है और सबकुछ इस समय बंद हो जाता है। यहां तक की इस मौसम में जाकर आप बोट राइड का भी आनंद नहीं ले पाएंगे।


सर्दियों में भेड़ाघाट- मध्यप्रदेश में सर्दी बहुत नहीं पड़ती। इसलिए भेड़ाघाट को सदियों के ब्रेक के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। इस दौरान यहां का मौसम सुहावना होता है। तापमान 10-20 डिग्री सेल्सियस ही होता है।


भेड़ाघाट जबलपुर में क्या-क्या कर सकते हैं


भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पर पर्यटक नौका विहार और प्राकृतिक संदरता का आनंद ले सकते हैं। जब आप मार्बल राक्स के बीच नाव की सवारी कर रहे होंगे, तब गाइड कॉमिक शैली में आपको वहाँ की कहानी सुनाकर आपका अच्छा मनोरंजन करते हैं जैसे कहते हैं, "ये है यहाँ का गेस्ट हाउस, कीमत 4500 रू0 का एक दिन का रूम, जब नये शादीशुदा जोडे आते हैं, बुक कराते हैं, अगली बार आते हैं, तो धर्मशाला ढूंढ़ते हैं", "वहाँ उस तरफ मगरमच्छ की फैमिली रहती है, दो जोडे, और छह बच्चे, ओपन एयर एकोमोडेशन, लैट-बाथ अटैच, सन बाथ लेने निकलते हैं कभी कभी", उधर उपर मियाँ-बीबी पुरानी शादी वाले, पति बोलता है, फोटो खींचता हूँ, इधर से बहुत अच्छा व्यू आ रहा, थोड़ा पीछे- थोड़ा पीछे, थोड़ा पीछे, और, बेचारी बीबी पानी के नीचे, चार दिन बाद पति किसी और के साथ वहीं पे सेल्फी खींचे”, “देखिये, यहीं पे नाची थी करीना, आज तक नाव वालों को आ रहा पसीना" आदि आदि। आप हँसते हँसते लोट-पोट हए बिना नहीं रह सकते। यहां पर आप बंदर कुदनी पर भी जा सकते हैं। एक समय वहाँ नदी के दो तरफ के पहाड़ इतने करीब थे कि बंदर एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर कूद जाते थे, इसलिए इस जगह को बंदर कुदनी कहा जाता है। चट्टान का निर्माण जैसे हिरण मीरन कुंच, हाथी का पौन, हाथी पैर, एक गाय के सींग और घोड़े के पैरों के निशान यहां देखने लायक हैं।


भेडाघाट को विश्व के नक्शे में लाने की पहल के चलते यहां भेड़ाघाट के पंचवटी में लेजर शो शुरू किया गया है। इस लेजर शो के जरिए नर्मदा से दुनिया का परिचय कराया जाता है। इस शो में नर्मदा की गौरव गाथा अलग अंदाज में जानने को मिलती है। हजारों साल पुरानी परंपरा से लेकर आधनिकता का दौर भी देखने को मिलता है। विश्व पटल पर संगमरमर की खूबसूरत वादियों की नई खूबियों से लोग परिचित होते हैं।मंगलवार से शुकवार तक 7.30 से 8 बजे और 8:30 से 9 बजे तक दो ही शो आयोजित होते हैं, जबकि शनिवार और रविवार को तीन शो का आयोजन किया जाता है, 7:30 से 8 बजे, 8:15 से 8:45 और 9 बजे से 9:30 तक शो दिखाया जाता है। हर शो तीन भागों में विभाजित है। आधे घंटे के शो में हर भाग 10 मिनट का रखा गया है। पहले भाग में भेड़ाघाट की खूबसूरती का जिक्र होता है उसके बाद 10 मिनट तक देशभक्ति गीतों के जरिए फाउंटेन की रंगबिरंगी फुहारों के बीच दर्शकों को लुभाने का प्रयास किया जाता है।


बोट राइड (भेड़ाघाट नौका विहार) के लिए किस समय जा सकते हैं


भेड़ाघाट में बोट राइडिंग का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे तक होता है। संगमरमर पर सूरज की किरणें देखनी हैं तो शाम 4 बजे के स्लाट पर जाएं। बोट राइड के दौरान कैप जरूर पहनें। अंतिम रोपवे यहां 6 बजे बंद हो जाता है। यहां आप नाव की यात्रा एक घंटे में तय कर सकते हैं। हालांकि पहले यहां चांदनी रात में नाव की सवारी कराई जाती थी, लेकिन असामाजिक गतिविधियों के कारण अधिकारियों ने रात में नाव की सवारी पर रोक लगा दी है। एक नाव में तीन लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है, जिसके लिए 800 रूपए चार्ज लिया जाता है, आप थोड़ा मोलभाव करके इसे 600 रूपए करा सकते हैं। नाव में बैठने से पहले टिकट काउंटरसे लाइफ जैकेट जरूर लें।


कैसे पहुंचे भेड़ाघाट


भेड़ाघाट जबलपुर के पास स्थित है, इसलिए आपको पहले जबलपुर जाना होगा। अगर आप लाइट से भेड़ाघाट जाना चाहते हैं तो जबलपुर हवाई अड्डा भेड़ाघाट के नजदीक हैं जिसे डुमना एयरपोर्ट जबलपुर के नाम से जाना जाता है। हवाई अड्डे से भेड़ाघाट की दूरी मात्र 34. 1 किमी है। इसके अलावा जबलपुर रेलवे स्टेशन भेड़ाघाट के करीब है, यहां से भेड़ाघाट 20 किमी दूर है। वहीं अगर आप बाय रोड बस या टैक्सी से जाते हैं तो रांझी बस स्टैंड भेड़ाघाट से पास पड़ेगा। यहां से भेड़ाघाट की दूरी 27.9 किमी है। यहां पहुंचने के बाद आप सार्वजनिक वाहन से भेड़ाघाट पहुंच सकते हैं।


भेडाघाट की टाइमिंग


भेड़ाघाट में आप सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक बोटिंग कर सकते हैं। जबकि केबल कार का समय सुबह 11 बजे से शाम के 6 बजे तक रहता है। बता दें कि मानसून के मौसम में यहां बोटिंग बंद होती है।


भेड़ाघाट जाने का सबसे अच्छा समय


भेड़ाघाट जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल का है। इस समय यहां का मौसम सुहावना होता है और सबसे ज्यादा पर्यटक भी इसी समय झरनों का मजा लेने पहुंचते हैं। बोटिंग के माध्यम से मार्बल रॉक के सुखद नजारों का अनुभव करना है तो अक्टूबर से अप्रैल के बीच ही भेड़ाघाट घूमने जाइए।