खेल
विश्व चैम्पियन पी.वी. सिन्धु
गत माह जब पी.वी.सिन्धु ने विश्व बैडमिन्टन चैम्पियनशिप जीती, तो पूरा देश ही खुशी से उछल पड़ा। पिछले दो साल से इस विश्व चैम्पियन बनने के टूर्नामेन्ट में फाईनल हार रही सिन्धु के इस बार चैम्पियन बनते ही देश के सच्चे खेलप्रेमियों की आँखें छलक उठीं। इस माह के खेल पृष्ठ पर तो सिन्धु को सजना ही था। लेकिन इसके पहले आईये आपको एक ऐसी बात बताते हैं जिसे जान कर आप 'नेपथ्य' से जुड़े सुधी जनों को बहुत गर्व होगा। आपकी 'नेपथ्य' के प्रथम वर्ष 2012 के उसके तीसरे ही अंक 'महिला विशेषांक' मार्च 2012 में खेल के पृष्ठ पर सिन्धु के लिये जो शब्द प्रयोग हए थे,वो ये थे ," पी.वी. सिंधु (15 वर्षीय, अत्यधिक प्रतिभावान, भविष्य की साइना नेहवाल कहा जाता है)!" सिंधु ने न केवल उन्हें बल्कि उनसे भी बढ़ कर उन शब्दों को स्थापित किया है।
सिन्धु ने हमेशा ही इतिहास रचा है। वे भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे भारत की नेशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं। सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ओपन का खिताब अपने नाम किया है। ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु ने ठट वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में शानदार जीत दर्ज कर पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया है। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय शटलर है। फाइनल मुकाबले में उन्होंने जापान की नोजुमी ओकुहारा को 21-7,21-7 से मात दी। 24 अगस्त 2019 को हए सेमीफाइनल मैच में उन्होंने चीन की चेन यु फी को 21-7, 21-14 से हराया था। सिंधु ने सीधे सेटों में 39 मिनट के अंदर ही विपक्षी चीनी चुनौती को समाप्त कर दिया था।
आईये इस खबर से उपर उठ कर आज सिन्धु के बारे में कुछ ज्यादा जानने की कोशिश करते हैं। सिंधु पूर्व वालीबाल खिलाड़ी पी.वी. रमण और पी. विजया के घर 5 जुलाई 1995 में पैदा हुई। रमण भी वालीबाल खेल में उल्लेखनीय कार्य हेतु वर्ष-2000 में भारत सरकार का प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। उनके माता-पिता पेशेवर वालीबाल खिलाड़ी थे, किन्तु सिंधु ने 2001 के आल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कैरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई।
कैरियर
अंतरराष्ट्रीय सर्किट में, सिंधु कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। उसके बाद उन्होने वर्ष-2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में रजत पदक जीता। वे इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। 2010 के थामस और उबेर कप के दौरान वे भारत की राष्ट्रीय टीम की सदस्य रही।14 जून 2012 को, सिंधु इंडोनेशिया ओपन में जर्मनी के जुलियन शेंक से 21-14, 21-14 से हार गईं। 7 जुलाई 2012 को एशिया यूथ अंडर-19 चैम्पियनशिप के फाइनल में उन्होने जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहरा को 18-21, 21-17, 22-20 से हराया। उन्होने 2012 में चीन ओपन बैडमिंटन सपर सीरीज टर्नामेंट में लंदन ओलंपिक 2012 के स्वर्ण पदक विजेता चीन के ली जुएराऊ को 21-9, 21-16 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वे चीन के ग्वांग्य में आयोजित 2013 के विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी है. इसमें उन्होने ऐतिहासिक कांस्य पदक हासिल किया था। उस समय भारत की उभरती हुई इस बैडमिंटन खिलाडी ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए 1 दिसम्बर 2013 को कनाडा की मिशेल ली को हराकर मकाउ ओपन ग्रां प्री गोल्ड का महिला सिंगल्स खिताब जीता। शीर्ष वरीयता प्राप्त 18 वर्षीय सिंधु ने सिर्फ 37 मिनट चले खिताबी मकाबले में मिशेल को सीधे गेम में 21-15, 21-15 से हराकर अपना दसरा ग्रां प्री गोल्ड खिताब जीता। उन्होंने इससे पहले मई में मलेशिया ओपनजीता था। सिंध ने शरुआत से ही दबदबा बनाया और कनाडा की सातवीं वरीय खिलाड़ी को कोई मौका नहीं दिया। पी. वी. सिंध ने 2013 दिसम्बर में भारत की 78वीं सीनियर नैशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप का महिला सिंगल खिताब जीता।
2016 रियो ओलम्पिक
सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं। सेमी फाइनल मुकाबले में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में 21-19 21-10 से हराया था। फाइनल में उनका मुकाबला विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मैरिन से हुआ! पहला गेम 21-19 से सिंधु ने जीता लेकिन दूसरे गेम में मैरिन 21-12 से विजयी रही, जिसके कारण मैच तीसरे गेम तक चला। तीसरे गेम में उन्होंन {21-15} के स्कोर से मुकाबला किया किंतु अंत में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। उस समय गूगल की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया था, “महिला एकल बैडमिंटन के सेमीफाइनल में विश्व की नंबर छह खिलाडी नोजोमी ओकुहारा को हराने के बाद सिंधु सबसे अधिक खोजे जाने वाली भारतीय खिलाड़ी हैं। इसके बाद भारत के लिए पहला पदक जीतने वाली साक्षी मलिक का नंबर है।'
सिन्धु को अनेक सम्मान भी मिले हैं :
राष्ट्रीय -
- पद्मश्री भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान(2015)। -
- अर्जुन पुरस्कार (2013)। -
अन्य -
- एफआईसीसीआई 2014 का महत्वपूर्ण खिलाड़ी। -
- एनडीटीवी इंडियन आफ द ईयर 2014 । -
- 10 लाख रू. भारतीय बैडमिंटन समिति की ओर से 2015 में मकाउ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप्स में जीतने के लिए। -
- 5 लाख रू. 2016 मलेशिया मास्टर्स में जीत के लिए भारतीय बैडमिंटन समिति द्वारा
2016 रियो ओलंपिक्स के लिए -
- रू. 1.01 लाख सलमान खान की ओर से रियो में प्रतियोगी के तौर पर क्वालीफाई करने के लिए। -
- रू. 5 करोड़ और जमीन, तेलंगाना सरकार की ओर से
- रू. 3 करोड़ और ग्रुप ए कैडर की नौकरी और 1000 गज की 2 जमीन, आंध्र प्रदेश सरकार की और से। -
- रू. 2 करोड़ दिल्ली सरकार की ओर से। -
- रू. 75 लाख इनके एम्प्लायर भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन की ओर से साथ ही असिस्टेंट से डिप्टी स्पोर्ट्स मैनेजर पर प्रमोशन।-
- रू. 50 लाख हरियाणा सरकार की ओर से -
- रू. 50 लाख मध्य प्रदेश सरकार की ओर से। -
- रू. 50 लाख युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से।
- - रू. 50 लाख भारतीय बैडमिंटन समिति की ओर से। -
- रू. 30 लाख भारतीय ओलम्पिक समिति की ओर से - रू. 5 लाख अखिल भारतीय फुटबाल संघ की ओर से। -
- बीएमडब्ल्यू कार हैदराबाद जिला बैडमिंटन समिति की ओर से।
अब पीवी सिंधु ने एक और बड़ा कीर्तिमान रचा है। वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप के फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को हरा दिया। सिंधु ने स्विटजरलैंड के बासेल में हुआ खिताबी मुकाबला 21-7, 21-7 से 38 मिनट में अपने नाम कर लिया। वे इस टूर्नामेंट के 42 साल के इतिहास में चैम्पियन बनने वाली पहली भारतीय बन गईं। सिंधु 2018, 2017 में रजत और 2013, 2014 में कांस्य पदक जीती थीं। इससे पहले भारतीय खिलाड़ियों में साइना नेहवाल 2015 के फाइनल में हार गई थीं। पुरुषों में 1983 में प्रकाश पादुकोण और इस साल बी साई प्रणीत कांस्य पदक जीते थे। ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी 2011 में महिला डबल्स में कांस्य जीती थी।वर्ल्ड चैम्पियनशिप के इतिहास में यह सिर्फ दूसरा मौका होगा, जब भारतीय शटलर दो पदक के साथ स्वेदश लौटेंगे। इससे पहले 2017 में साइना ने कांस्य जीता था। वहीं, सिंधु ने रजत पदक अपने नाम किया था। इस साल सिंधु के अलावा प्रणीत भी पदक जीतने में सफल रहे।
सिंधु ने अपनी जीत का श्रेय विदेशी कोच को भी दिया है। लेकिन इस विश्व चैम्पियनशिप मेंसिंधु ने जिस दबदबे से अपने मैचों में विरोधियों को धूल चटाई है, ये उनके खेल की नई ऊँचाइयाँ दर्शाता है। अगर ऐसा ही खेल सिंधु बनाये रख सकीं तो अगले साल होने वाले ओलम्पिक में वो अपने पिछले ओलम्पिक के चाँदी के रंग को सोने के रंग में तब्दील कर के एक और इतिहास रच देंगी। आमीन....